Unearthing Atiq Ahmed felony historical past: लंबे समय तक अतीक अहमद का खौफ प्रयागराज में कायम रहा. उस पर पर 1989 में चांद बाबा की हत्या का आरोप लगा. अपने भाई अशरफ की हार के बाद उसके गिरोह ने दिनदहाड़े 2005 में राजू पाल की हत्या कर दी. अतीक का गिरोह 2017 तक हमेशा कानून-व्यवस्था को चुनौती देता रहता था. पुलिस अधिकारी अतीक के सुनियोजित आपराधिक गठजोड़ से तंग आ चुके थे. 26 दिसंबर 2018 को अतीक के गुंडे यूपी के लखनऊ से एक कारोबारी का अपहरण कर सीधे देवरिया जेल ले गए. वहां संपत्ति विवाद को लेकर उससे मारपीट की गई और एक कोरे कागज पर हस्ताक्षर करवा लिए गए. इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. लोकसभा चुनाव के कारण उसे कड़ी सुरक्षा में रखने के लिए प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में भेज दिया गया था. ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और उसने मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए. 23 अप्रैल, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अतीक अहमद को उत्तर प्रदेश से बाहर भेजने का आदेश दिया. 3 जून, 2019 को अतीक को अहमदाबाद की साबरमती जेल भेज दिया गया.
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