चंदन रॉय (Chandan Roy) कहते हैं कि, “अब मेरा संघर्ष पूरा हो चुका है. अब मैं काम को लेकर काफी चूजी हो गया हूं और पैसों को लेकर मोलभाव भी करता हूं. ये सभी बदलाव ‘पंचायत’ के बाद आए हैं, नहीं तो इससे पहले मैं स्क्रीन पर लाश तक बनने के लिए राजी हो जाया करता था. हजार रुपए के लिए भी काम कर लेता था. ज्यादा भूख लगती तो 10 रुपये में 3 केले खरीद लेता था, लेकिन अब मैं अपने लिए एक अच्छी जगह घर खरीदने की सोच रहा हूं.”
Source link