Delhi High Court: हाई कोर्ट ने कहा कि लड़की द्वारा मजिस्ट्रेट को दिए गए बयान को देखते हुए ऐसा लगता है कि इस व्यक्ति ने यौन प्रकृति का कोई कृत्य नहीं किया और प्रथम दृष्टया यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत अपराध का मामला नहीं बनता है. आरोपी की पैरवी कर रहे वकील पार्थ गोस्वामी ने कहा कि शिकायकर्ता और आरोपी के बीच समझौता हुआ है, जिसके आधार पर उच्च न्यायालय से प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध किया गया.
Source link