नीलामी के पिछले दो दौर में कई बैंड में स्पेक्ट्रम बिक नहीं पाया था. इसे ही ध्यान में रखते हुए ट्राई ने सभी बैंडों के लिए बेस प्राइस में कटौती का सुझाव दिया है. टेलीकॉम कंपनियां लंबे समय से यह मांग करती रही हैं कि उनकी क्षमता को ध्यान में रखते हुए स्पेक्ट्रम की आधार कीमत तय की जाए. ट्राई की ये सिफारिशें अगर दूरसंचार विभाग (डॉट) मान लेता है तो टेलीकॉम कंपनियों को बड़ी राहत मिलेगी.
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