चीन, मंगोलिया, साइबीरिया और तिब्बती देशों में जब तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस के नीचे चला जाता है और पहाड़ों पर बर्फ जमने के कारण खाने की कमी हो जाती है तो बार हेडेड गूज नाम के पक्षी भारत की ओर रुख करते हैं। इन विदेशी मेहमानों ने उज्जैन में दस्तक दे दी है। यहां इन पक्षियों के समूहों ने पिंगलेश्वर, मताना, सदावल, कालिदास अकादमी के कमल तालाब में अपना डेरा जमा लिया है। जहां पानी में इनकी अठखेलियां देखी जा सकती हैं। ये पक्षी एक बार में 1600 किमी तक की उड़ान भर सकते हैं।
शाकाहारी होते हैं ये विदेशी मेहमान
बार हेडेड गूज पानी में उगी घासों को ही खाते हैं। इसलिए इन्हें शाकाहारी माना जाता है। इन्हें जोड़ों में रहना पसंद है। बेहद ही शांत स्वाभाव वाले ये मेहमान खतरा भांपते ही अपने डेरे को छोड़ देते हैं और दूसरी जगह अपना बसेरा बना लेते हैं।
दो से तीन किग्रा के होते हैं, दो से ढाई फीट होता है आकार
बार हेडेड गूज का वजन दो से तीन किग्रा होता है। बत्तख की प्रजाति का होने के कारण इनका आकार दो से ढाई फीट होता है। सिर सफेद और उस पर दो काले रंग की धारी होती है। इसी खासियत के कारण इन्हें बार हेडेड कहा जाता है। गर्दन और सिर का रंग सफेद और बाकी हिस्सा स्लेटी कलर का होता है। भारत में इन्हें बड़ा सफेद हंस के नाम से भी जानते हैं।
एक बार में आधा दर्जन से अधिक अंडे देते हैं
मादा बार हेडेड एक बार में छह से आठ तक अंडे देती है। अंडों से एक माह के अंदर बच्चे बाहर आते हैं और दो माह के भीतर उड़ना सीख जाते हैं। खून में हीमोग्लोबिन में अमीनो अम्ल पाए जाने के कारण ये आठ घंटे तक बगैर रुके उड़ने की क्षमता रखते हैं। मई के अंत में प्रजनन करते हैं।
ठंड कम होते ही लौट जाते हैं
बार हेडेड गूज हिमालय की तकरीबन 8000 मीटर ऊंची पहाड़ियों को पार कर भारत आते हैं। ठंड कम होते ही मार्च महीने में ये प्रवासी पक्षी अपने देश को लौट जाते हैं। इन्हें विश्व में सबसे ऊंचाई पर उड़ने वाला पक्षी माना जाता है।
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