भारतेन्दु नाट्य अकादमी के संस्थापक निदेशक 85 वर्षीय सुप्रसिद्ध रंगकर्मी एवं शिक्षाविद राज बिसारिया की तबियत बिगड़ने के बाद शुक्रवार को मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जिसके बाद मेदांता में उनकी सफल एंजियोप्लास्टी की गई। सफल ऑपरेशन के बाद उनके परिजनों और शुभ चिंतकों ने राहत की सांस ली है। पिछले कुछ दिनों से उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी तथा सीने में दर्द की भी शिकायत थी।
इससे पहले शनिवार को इप्टा के महासचिव राकेश और वरिष्ठ रंगकर्मी डॉ अनिल रस्तोगी ने उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की थी। राज बिसारिया एक भारतीय निर्देशक, निर्माता, अभिनेता और शिक्षाविद हैं, जिन्हें प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया द्वारा "उत्तर भारत में आधुनिक थिएटर का जनक" कहा जाता है। लखीमपुर खीरी में 10 नवंबर 1935 को जन्में राज बिसारिया ने लखनऊ विश्वविद्यालय में अध्यापन किया। वो अंग्रेजी विभाग में प्रोफेसर भी रहे हैं। 1962 में लखनऊ विश्वविद्यालय में थिएटर ग्रुप बनाया।
उन्होंने 1966 में थिएटर आर्ट्स वर्कशॉप की स्थापना की। फिर भारतेंदु नाट्य अकादमी के संस्थापक निदेशक बने। अकादमी में 23 सितंबर 1975 से 10 सितंबर 1989 तक अपनी सेवाएं दीं। इन्हें उत्तर भारत में आधुनिक रंगमंच का जनक भी कहा जाता है। इन्होंने अंग्रेजी नाटकों से रंगमंच को एक अलग पहचान दी। हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही माध्यमों से रंगमंच को समृद्ध किया।
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