सूर्य के मकर राशि में आने से 14 जनवरी को मकर सक्रांति पर्व मनाया जााएगा। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र के मुताबिक, सूर्य सुबह करीब 8:20 पर मकर राशि में प्रवेश कर जाएगा। इस दिन मकर संक्रांति का पुण्यकाल सूर्यास्त तक रहेगा। इस दिन सुबह करीब 7:15 पर सूर्योदय होगा और शाम लगभग 5:50 पर अस्त होगा। इस तरह संक्रांति का पुण्यकाल करीब 9 घंटे से ज्यादा का रहेगा। इस दौरान श्रद्धा अनुसार जरूरतमंद लोगों को दान दिया जा सकता है। इस साल मकर संक्रांति पर 5 ग्रहों का विशेष योग भी बनेगा।
गुरुवार को संक्रांति होना शुभ पं. मिश्र का कहना हैं कि गुरुवार बृहस्पति देव का दिन है। ज्योतिष ग्रंथों में इसे शुभ दिन माना जाता है। इसलिए इस दिन उत्तरायण होना यानी सूर्य का राशि बदलना बहुत ही शुभ होता है। यह संक्रांति गुरुवार को पड़ रही है जिससे महंगाई के कुछ कम होने के आसार हैं। ज्योतिष ग्रंथों में बताया गया है जब सूर्य के राशि बदलता है उस समय संक्रांति वाली कुंडली बनाई जाती है। जिससे अगले 30 दिनों का राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक भविष्यफल निकाला जा सकता है। इस बार सूर्य के राशि बदलते ही मकर राशि में सूर्य के साथ चंद्रमा, बुध, गुरु और शनि होने से पंचग्रही योग बनेगा। ग्रहों की यह युति बड़े राजनीतिक और सामाजिक बदलाव लाने का ज्योतिषीय संकेत दे रही है।
लोगों की सेहत में होगा सुधारपं. मिश्र के मुताबिक, इस बार संक्रांति का नाम मंद है। जो कि शेर पर सवार होकर वैश्य के घर प्रवेश कर रही है। इसका उपवाहन हाथी है। ये देव जाति की है। शरीर पर कस्तूरी का लेप, सफेद रंग के कपड़े पहने हुए, पुन्नागपुष्प की माला और हाथ में भुशुंडि शस्त्र लिए, सोने के बर्तन में भोजन करती हुई है।
संक्रांति का फल: कुछ सरकारी अधिकारियों के लिए हालात खराब हो सकते हैं। इन सबके प्रभाव से 15 फरवरी तक देश में असामाजिकता बढ़ सकती है। आपराधिक गतिविधियां बढ़ और वारदातें बढ़ सकती हैं। लेकिन लोगों की सेहत में सुधार होगा। महंगाई कम होने की संभावना है। अन्य देशों से भारत के संबंध मजबूत होंगे। देश में अनाज भण्डारण भी बढ़ेगा।
सूर्योदय से पहले नहाएंमकर संक्रांति पर्व पर सूर्योदय से पहले उठकर नहाना चाहिए। इसके बाद उगते हुए सूरज को 3 बार जल चढ़ाकर प्रणाम करना चाहिए। सूर्य नमस्कार करें तो और भी अच्छा है। इसके बाद श्रद्धा अनुसार दान देने का संकल्प लें। फिर जरूरतमंद लोगों को कपड़े और खाने की चीजें दान करें। इस पर्व पर खासतौर से तिल और गुड़ दान करने की परंपरा है।
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