पावरकॉम ने रोपड़ पावर कॉलोनी में रहते अपने इंजीनियर्स और दूसरे मुलाजिमों (करीब 400 परिवार) को 31 मार्च तक घर खाली करने का फरमान सुनाया है। उन्हें वर्तमान स्थान से 10 किलाेमीटर दूर राेपड़ थर्मल प्लांट में शिफ्ट होने काे कहा गया है। बताया जा रहा है कि ये इलाका जंगलाें के साथ सटा हुआ है।वहीं, शिफ्टिंग के आदेश का इंजीनियर एसाेसिशन ने कड़ा विराेध किया है। एसोसिएशन का कहना है कि सभी के बच्चे पहले से शहर में पड़ते हैं। बाहर शिफ्ट हाेने से पढ़ाई पर सीधा असर पड़ेगा। वहीं, अन्य दूसरी सेवाओं के लिए लाेगाें काे कई किलाेमीटर दूर शहर जाना पड़ेगा।
जिससे आर्थिक व मानसिक नुकसान झेलना पड़ेगा। पीएसपीसीएल इंजीनियर एसाेसिएशन के जनरल सेक्रेटरी ने बताया कि बठिंडा में थर्मल प्लांट बनने के लिए किसानाें ने 4000 कराेड़ की जमीन पीएसपीसीएल काे ये साेच कर दी थी कि इससे हजाराें परिवाराें काे राेजगार मिलेगा। लेकिन मैनेजमेंट ने सरकार के इशारे पर 4000 कराेड़ की जमीन एक कराेड़ में ट्रांसफर कर दी। ये किसानाें की पीठ पर छुरा मारने जैसा है। पीएसपीसीएल राेपड़ वाली जमीन काे भी सरकार के नाम ट्रांसफर करने की याेजना है, जाे मुलाजिम ऐसा हाेने नहीं देंगे। चाहें फिर मुलाजिमाें काे मैनेजमेंट के गलत फैसले के खिलाफ सड़काें पर क्याें न उतरना पड़े।
Download Dainik Bhaskar App to learn Latest Hindi News Today