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वरियाणा डंप पर जमा 7.55 लाख मीट्रिक टन कूड़े के ढेर को खत्म करने के लिए बायो माइनिंग का प्रोजेक्ट बीते डेढ़ साल से फंसा है। स्मार्ट सिटी के तहत पहले बनाए गए 71 करोड़ के प्रोजेक्ट का टेंडर 6 बार फेल होने के बाद सरकार ने रद करवा दिया। हाल ही में 41 करोड़ की लागत वाला नया प्रोजेक्ट तैयार किया गया, लेकिन अब इसका भी दूसरी बार टेंडर जारी किया गया है। कारण पहले टेंडर में भागीदारी करने वाली 4 में से दो कंपनी तकनीकी योग्यता को पूरा नहीं करने के कारण रेस से बाहर हो गई।
नए प्रोजेक्ट को भी महंगा बता कांग्रेस के पार्षद कर रहे हैं टेंडर रद करने की मांग, निकाय मंत्री को हो चुकी है शिकायत
पहले टेंडर में कम से कम 3 कंपनी के भागीदारी की शर्त पूरा न होने से इसी सप्ताह दोबारा टेंडर जारी किया गया है, लेकिन दूसरी ओर निगम के हेल्थ एंड सेनिटेशन एडहॉक कमेटी के मेंबर कांग्रेसी पार्षद समराय इस प्रोजेक्ट को महंगा बताकर निकाय मंत्री से इसे रद करने की मांग कर चुके हैं। सरकारी स्तर पर इस मसले पर कोई फैसला नहीं आया है, इस बीच दोबारा टेंडर लगने से कांग्रेसी पार्षदों के बीच ही नई उठापटक शुरू हो गई है। स्मार्ट सिटी के सीईओ एवं निगम कमिश्नर करणेश शर्मा ने बताया के नया टेंडर 22 जनवरी को खुलेगा। अब अगर दो कंपनी भी भागीदारी करेगी, तो उसकी फाइनेंशियल बिड करा सकते हैं। कारण ईं-टेंडर में सिर्फ पहले टेंडर में कम से कम 3 बिडर की शर्त है।
4.93 करोड़ रुपए की मशीनरी खरीदनी है और 417 रुपए प्रति मैट्रिक टन कूड़ा प्रोसेस का है रेट
टेंडर में प्रोजेक्ट के लिए 4.93 करोड़ रुपए की लागत से मशीनरी खरीद के अलावा बायो माइनिंग तकनीक से कूड़ा प्रोसेस करने के लिए प्लांट लगाने की शर्त है। जबकि वरियाणा डंप पर जमा 7.55 लाख मीट्रिक टन कूड़ा को प्रोसेस करने के लिए 417 रुपए प्रति मैट्रिक टन का रेट निर्धारित किया गया है।
प्रोजेक्ट में देरी से निगम पर 25 लाख रुपए जुर्माने का संकट... एनजीटी ने प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए 31 दिसंबर की डेडलाइन तय किया था, जो खत्म हो गया है। इससे पहले कोरोना काल के कारण प्रोजेक्ट फंसा रहा और जून में पीपीसीबी ने निगम पर 25 लाख रुपए का जुर्माना वसूला था। ऐसे में एक बार फिर प्रोजेक्ट शुरू न होने से निगम पर जुर्माने का संकट बढ़ने लगा है।
पीएमआईडीसी के सीईओ से जल्द मिलेंगे : समराय
पार्षद जगदीश समराय ने कहा कि जल्द ही वो पीएमआईडीसी के सीईओ अजॉय शर्मा से मिलकर पूरा मामला रखेंगे। बताएंगे कि किस तरह प्रोजेक्ट महंगा होने के कारण लोगों के पैसे की बर्बादी हो रही है। इतना ही नहीं पहले भी 71 करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार करने वाले अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेंगे।
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