जल्द ही ऑटोमोबाइल सेगमेंट में बड़ा फेरबदल देखने को मिलेगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इटेलियन-अमेरिकन ऑटो निर्माता ग्रुप फिएट क्रिसलर ऑटोमोबाइल (एफसीए) और फ्रांस के पीएसए ग्रुप का विलय होने जा रहा है। दोनों ग्रुप मिलकर एक नए स्टेलेंटिस ब्रांड बनाएंगे, जिसके लिए इन्हें शेयर-होल्डर्स से हरी झंडी मिल चुकी है। विलय के बाद स्टेलेंटिस दुनिया का चौथा सबसे बड़ा ऑटो निर्माता समूह बन जाएगा।
2019 में शुरू हुई बातचीत, 16 जनवरी को पूरी होगी
दोनों ग्रुप पहली बार 2019 में साझेदारी के इरादे से आमने सामने आए और इस समझौते पर सहमत हुए। रेगुलेटर बॉडीज और शेयर-होल्डर्स से मिली मंजूरी के बाद साल की शुरुआत में दोनों समूह अब एक होने जा रहे हैं। इसके लिए जनवरी 16 की तारीख निर्धारित की गई है। विलय पूरा होने के बाद स्टेलेंटिस के शेयर यूरोप और न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड हो जाएंगे। दोनों समूह ने एक संयुक्त बयान में कहा कि स्टॉक यूरोप में जनवरी 18 और जनवरी 19 को यूएस में व्यापार करेगा।
विलय से पीएसए को मिलेगी अमेरिका में एंट्री
विलय के बाद दोनों समूह की 50-50 फीसदी हिस्सेदारी रहेगी। पीएसए के वर्तमान सीईओ कार्लोस तवरेज संयुक्त स्टेलेंटिस के सीईओ बन जाएंगे, जबकि एफसीए के सीईओ माइक मैनले ऑटोमेकर के उत्तरी अमेरिकी में कामकाज का नेतृत्व करेंगे। यह विलय पीएसए के लिए खासतौर से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगा, क्योंकि इससे पीएसए के प्यूजो ब्रांड को उत्तरी अमेरिका, विशेष रूप से अमेरिका में वापसी करने में मदद मिलेगी और यह वापसी 2022-23 के आसपास होने की उम्मीद है।
दोनों समूह को होगा फायदा
दोनों समूह ने कहा कि विलय से न सिर्फ लागत बचेगी बल्कि कई तरह की फायदे भी होंगे, जैसे की दोनों आपस में प्लेटफार्म और पावरट्रेन शेयर करेंगे, साथ ही फ्यूचर मोबिलिटी और इलेक्ट्रिक व्हीकल टेक्नोलॉजी पर भी साथ काम कर सकेंगे। दोनों एक ही छत के नीचे कामकाज पूरा करने की व्यवस्था कर रहे हैं, जिससे करीब 6 बिलियन डॉलर से अधिक की बचत होने की उम्मीद है। गौर करने वाली बात यह है कि पीएसए और एफसीए दोनों ने विलय के हिस्से के रूप में किसी भी ऑटो प्लांट को बंद नहीं करने का वादा किया, लेकिन स्टेलेंटिस के पोर्टफोलियो में कौन से ब्रांड होंगे, फिलहाल इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।
कितना बड़ा है दोनों ब्रांड का पोर्टफोलिया
- फिएट क्रिसलर ऑटोमोबाइल वर्तमान में क्रिसलर, डॉज, राम, जीप, फिएट, अल्फा रोमियो, मासेराती और लैंसिया ऑटो ब्रांडों का उत्पादन करता है। वहीं, पीएसए ग्रुप प्यूजो, सिट्रोएन, डीएस, ओपल और वॉक्सहॉल कारें बनाती है।
- एलएमसी ऑटोमोटिव के साथ एनालिस्ट जेफ शूटर ने कहा कि- विलय के पूरा होने पर, संयुक्त कंपनी दुनिया की चौथी और कुल मिलाकर नेटवर्थ $57 बिलियन हो जाएगी।
- 2019 में दोनों कंपनियों में मिलकर कुल 89 लाख वाहन बेचे, जो फॉक्सवैगन ग्रुप की तुलना में लगभग 30 लाख वाहन कम हैं।
- फिएट क्रिसलर और पीएसए दोनों यूरोप में प्रतिस्पर्धा करते हैं, जबकि पीएसए की अमेरिका में लगभग कोई उपस्थिति नहीं है, जहां फिएट क्रिसलर देश में बिक्री के मामले में चौथा सबसे बड़ा वाहन निर्माता है।
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स्टेलेंटिस कैसे बनेगा दुनिया का चौथा सबसे बड़ा ऑटो निर्माता ग्रुप…
1. फॉक्सवैगन- 1.08 करोड़ यूनिट्स

कौनसा समूह कितना बड़ा है यह उनके सेल्स वॉल्यूम के आधार पर तय किया जाता है। 'व्हील्स डॉट का' की अगस्त 2019 में आई रिपोर्ट के मुताबिक, 10.8 मिलियन (1.08 करोड़) यूनिट्स के साथ फॉक्सवैगन ग्रुप दुनिया का सबसे बड़ा ऑटो निर्माता ग्रुप है। फिलहाल फॉक्सवैगन के पोर्टफोलियो में फॉक्सवैगन, ऑडी, पोर्श, स्कोडा, एसईएटी, बेंटले, बुगाटी और लेम्बोर्गिनी, साथ ही साथ मैन और स्कैनिया हैवी ट्रक जैसे ब्रांड हैं।
2. टोयोटा- 1.05 करोड़ यूनिट

टोयोटा 10.5 मिलियन (1.05 करोड़) यूनिट के साथ दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ब्रांड है। जापान की सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी अपनी हिनो ट्रक लाइनअप के अलावा दुनिया भर में अपने टोयोटा, लेक्सस और दाईहात्सु ऑटोमोबाइल ब्रांडों की मार्केटिंग करती है।
3. रेनो-निसान-मित्सुबिशी अलायंस- 1.03 करोड़ यूनिट्स

फ्रांस का रेनो और जापान का निसान 1999 में स्ट्रेटजिक पार्टनर बने थे, 2016 में मित्सुबिशी को जोड़ने के लिए तीन अलग-अलग अलायंस बनाए गए जो 10 अलग-अलग ऑटोमोटिव ब्रांड्स को नियंत्रित करते हैं जिसमें रेनो, निसान, मित्सुबिशी, इनफिनिटी, सैमसंग मोटर्स, डैसिया, डैटसन, अल्पाइन, वेंचिया और लाडा शामिल हैं। इस अलायंस के बाद मित्सुबिशी की दोबारा बिक्री शुरू हुई। 2018 में नए ऑटो समूह ने एक साथ 10 मिलियन (1 करोड़) से अधिक वाहन बेचे।
4. एफसीए (48 लाख)+ पीएसए (41 लाख)

रिपोर्ट के मुताबिक, एफसीएस ग्रुप ने कुल 41 लाख वाहनों की बिक्री की। वहीं, दूसरी ओर पीएसए ने कुल 41 लाख वाहन बेचे। पीएसए यूरोप में तीसरा सबसे बड़ा ऑटो निर्माता है और अमेरिका और कनाडा को छोड़कर दुनिया के लगभग हर देश में कारोबार करता है। हालांकि पीएसए और एफसीए के विलय के बाद स्थिति बदल जाएगी और पीएसए का अमेरिकी में एंट्री करने का रास्ता साफ हो जाएगा।
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