मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव उत्तरायण में होते हैं और मकर राशि में प्रवेश करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। मकर संक्रांति से ही ऋतु परिवर्तन भी होने लगता है। शास्त्रों के अनुसार इस दौरान स्नान-दान से अनंत गुणा फल प्राप्त होता है। इस दिन सूर्यदेव की विधि-विधान के साथ पूजा करने पर व्यक्ति को मनचाहा वरदान मिलता है। मकर संक्रांति हिंदुओं का प्रमुख पर्व होता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तब ये पर्व मनाया जाता है। इस साल मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी बृहस्पतिवार को मनाया जाएगा।
मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने और खाने का खास महत्व होता है। इसी कारण इस पर्व को कई जगहों पर खिचड़ी का पर्व भी कहा जाता है। यह जानकारी सनातन धर्म प्रचारक प्रसिद्ध विद्वान ब्रह्मऋषि पं. पूरन चंद्र जोशी ने गांधी नगर स्थित एक कार्यक्रम के दौरान मकर सक्रांति पर प्रकाश डालते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि ऐसी मान्यता है कि इसी त्योहार पर सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए आते हैं।
सूर्य और शनि का संबंध इस पर्व से होने के कारण यह काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। आम तौर पर शुक्र का उदय भी लगभग इसी समय होता है। इसलिए यहां से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। अगर कुंडली में सूर्य या शनि की स्थिति खराब हो तो इस पर्व पर विशेष तरह की पूजा से उसको ठीक किया जा सकता है।
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