पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन के चुनाव 1967 से शुरू हुए थे। जिसमें 1968 को एसोसिएशन ने अपना कार्यभार संभाला और अध्यापकों के हकों और अधिकारों की रक्षा के लिए काम करना शुरू किया। इस बार एसोसिएशन के 50वें चुनाव होने वाले हैं। 1967 में हुए चुनावों के समय में एसोसिएशन के 180 सदस्य थे। जो इतने सालों में बढ़ कर 800 से ज्यादा हो चुके हैं।
इन सालों के दौरान एसोसिएशन के सदस्य कई बार सर्वसम्मति से भी चुने गए हैं। इस बार यूनिवर्सिटी के चुनावों में हुई यूनिवर्सिटी प्रबंधन और राजनेताओं की दखलअंदाजी के बाद चुनावों की तारीख निश्चित हो सकी है। जिससे अभी तक भी अध्यापकों द्वारा इस पर चर्चा की जा रही है। वहीं, चुनावों के नजदीक आने से सरगर्मियां भी तेज हैं।
वहीं, दोनों ही गुटों द्वारा पूरे जोरो-शोरों से मेहनत की जा रही है। साथ ही चुनावों में जीतने के लिए अध्यापकों का पूरा सहयोग पाने की कोशिशें की जा रही हैं। चुनाव को लेकर 11 जनवरी को नॉमिनेशन की आखिरी तारीख है। वहीं, 12 जनवरी को विदड्रॉल किया जा सकेगा। 15 जनवरी को चुनाव होंगे। जिसमें दोनों ही गुटों से 15-15 सदस्य विभिन्न पोस्ट के लिए चुनाव लड़ेंगे। 15 जनवरी को चुनावों से पहले जनरल बॉडी होगी। वहीं, इसी दिन शाम को रिजल्ट भी घोषित कर दिए जाएंगे।
नए टीचर्स की समस्याएं हल करना अहम काम: डॉ. संधू
पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन के पांच साल से ज्यादा प्रधान रहे डॉ. जीएस संधू (82) ने कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान प्रमोशन पॉलिसी लाने का काम किया। उन्होंने कहा कि टीचर्स एसोसिएशन के चुनावों में यूनिवर्सिटी या राजनेताओं की दखलअंदाजी सही नहीं है। यूनिवर्सिटी प्रबंधन हमेशा ही चाहती है कि एसोसिएशन उनके इशारों पर चले और उनके विश्वास पात्र ही हर पद पर आगे आएं, लेकिन अगर अध्यापक अपने हकों को पाना चाहते हैं और यूनिवर्सिटी को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो उन्हें आगे आकर मिलकर काम करना होगा। यूनिवर्सिटी में फिलहाल रिसर्च के लिए कोई बहुत काम नहीं हो रहे हैं। ऐसे में अध्यापकों को देखना चाहिए कि उन्हें इस ओर क्या काम करना है। नए अध्यापकों की समस्याओं को हल करना और उन्हें समझना एसोसिएशन का सबसे बड़ा और अहम काम है।
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