एक्स-सर्विस मैन कंट्रीब्यूटरी हेल्थ स्कीम (ईसीएचएस) घोटाले के बाद राज्य सरकार की सरबत सेहत बीमा योजना भी घोटाले का शिकार हो गई है। शहर के पांच अस्पतालों ने बिना किसी मरीज का इलाज किए ही स्कीम के तहत सरकार के करोड़ों रुपए हड़प लिए। आरोप है कि पांचों अस्पतालों के संचालकों ने बीमा योजना के तहत सरकारी पैसा ऐंठने के लिए फर्जीवाड़े के अलग-अलग तरीके अपनाए।
इस योजना की टीम ने कुछ शिकायतों का आधार मान कर उन प्राइवेट अस्पतालों की चेकिंग की, जो इस योजना के तहत इलाज करने के लिए अनुबंधित किए गए थे। टीम ने जब अस्पतालों को खंगालना शुरू किया तो हैरानीजनक तथ्य सामने आए। किसी में मरीज नहीं, कहीं मरे मरीज का इलाज, तो कहीं अपने ही परिवार की फाइल बना कर बिल का भुगतान करवाया गया था।
गौरतलब है कि राज्य सरकार की तरफ से सरबत सेहत बीमा योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे वालों के इलाज के लिए 5 लाख रुपए के इलाज की योजना है। इसके तहत जिले के 87 प्राइवेट और 10 सरकारी अस्पतालों को सूचीबद्ध किया गया है। इस स्कीम के यहां अब किए गए इलाज के लिए सरकार ने 66 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया है।
मनु अरोड़ा अस्पताल के संचालक ने अपनी पत्नी का कार्ड बनवा रखा था आकाशदीप अस्पताल ने 17 बार एक ही मरीज का डायलिसिस करवाया
जांच टीम की रिपोर्ट के मुताबिक छेहर्टा इलाके के मनु अरोड़ा अस्पताल में चेकिंग के दौरान पाया गया कि जिस महिला मरीज की फाइल बनी थी, वह कोई और थी, जबकि उस पर अस्पताल मालिक ने अपनी बीवी की फोटो चिपका कर उसके नाम से भुगतान करवाया था। इस अस्पताल में योजना के तहत 533 मरीजों का इलाज किया जा चुका है और 82 लाख के बिलों में से 70 लाख का भुगतान हो चुका है। वहीं मजीठा रोड के आकाशदीप अस्पताल की पोल उस वक्त खुली जब एक ही मरीज का 17 बार बाहर से डायलिसिस कराया गया, जबकि अस्पताल में इसकी व्यवस्था थी।
न्यू लाइफ अस्पताल : काम छोड़ चुके सर्जन के नाम पर ऑपरेशन
मजीठा रोड इलाके के ही न्यू लाइफ अस्पताल की पोल पहले काम कर चुके सर्जन की मोहर और दूसरे दस्तावेज का इस्तेमाल करने से खुली। हालांकि उक्त सर्जन काम छोड़ चुका है, लेकिन फिर भी उसके नाम पर ऑपरेशन किए जाते रहे हैं। इस अस्पताल ने योजना के तहत 477 मरीजों का इलाज किया है और 48 लाख रुपए की स्कीम के तहत वसूली की है।
वर्मा अस्पताल मीरांकाेट : मरीज घर पर था, दिखाया अस्पताल में
मीरांकोट इलाके के वर्मा अस्पताल की जांच में पाया गया कि संचालकों ने जिस मरीज को अपने यहां दाखिल करके इलाज करने का दावा किया था, वह घर पर था। वह इस तरह का फर्जीवाड़ा तरनतारन के एक डॉक्टर से मिल कर करता रहा। इस अस्पताल ने स्कीम के तहत 176 मरीजों का इलाज किया और 27 लाख सरकारी स्कीम के तहत ले चुका है।
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