कुछ देशों में कोरोना वैक्सीन लगने लगी है, लेकिन कई देशों में इस वजह से शुरुआत नहीं हो पाई है क्योंकि वैक्सीन से होने वाले साइड इफेक्ट की जवाबदेही कंपनियां लेने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में सवाल उठा है कि जान या माल का नुकसान हुआ तो जिम्मेदारी कौन लेगा वैक्सीन निर्माता या सरकारें?
दरअसल, सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ने इस जवाबदेही से कंपनी को अलग रखने की बात कही है। लैटिन अमेरिकी देश पेरू में फाइजर और सरकार के बीच एक करोड़ वैक्सीन खरीदी की बात अधर में हैं। कंपनी ने करार में लीगल इम्युनिटी (वैधानिक बचाव) का प्रावधान किया है।
ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो भी सवाल उठा चुके हैं कि फाइजर कोई जिम्मेदारी नहीं लेना चाहती। अर्जेंटीना ने भी ऐसी ही चिंता जताई गई है।
गिफ्ट में मिली वैक्सीन के साइड इफेक्ट की जिम्मेदारी तय करना मुश्किल
इस मुश्किल का एक पहलू यह भी है कि वैक्सीन की कमी से जूझ रहे कई गरीब देशों को यूरोपियन यूनियन ने 5% डोज दान करने की बात कही है। ऐसे में गिफ्ट में मिली वैक्सीन के साइड इफेक्ट की जिम्मेदारी तय करना मुश्किल होगा। ये हालात उन देशों के साथ भी है, जो कंपनियों से सीधे वैक्सीन खरीद रहे हैं।
पिछली महामारियों के दौरान टीके के प्रतिकूल प्रभाव को लेकर अलग-अलग मापदंड अपनाए जाते रहे हैं। स्वाइन फ्लू आने के चार साल बाद 2003 में यूके सरकार ने ग्लेक्सोस्मिथक्लाइन की वैक्सीन पैंडेरामिक्स से सुरक्षा को लेकर नीति बदली थी।
Download Dainik Bhaskar App to learn Latest Hindi News Today